ऑस्कर में इस साल भारत

नई दिल्ली. इस साल भारत की तरफ से औपचारिक एंट्री तो ऑस्कर पुरस्कारों की नामांकन सूची में भी नहीं पहुंच सकी लेकिन इसके बाद भी भारत 80वें एकेडमी पुरस्कारों से जुड़ा रहेगा।
सर्वश्रेष्ठ विदेशी फिल्म की श्रेणी में दावा पेश करने के लिए इस साल भारत की ओर से औपचारिक एंट्री के रूप में विधु विनोद चोपड़ा की फिल्म एकलव्य को भेजा गया था लेकिन यह अंतिम पांच में जगह नहीं बना पाई। इसके बावजूद भारत इस बेहतरीन पुरस्कार समारोह से जुड़ा रहेगा।
पहला जुड़ाव :
फिल्मकार शेखर कपूर की फिल्म एलिजाबेथ : द गोल्डन एज को दो श्रेणियों में नामांकन मिला है, सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री और सर्वश्रेष्ठ कॉस्टच्यूम। यह फिल्म 1998 की एलिजाबेथ का ही सीक्वल है और उसे भी शेखर कपूर ने ही निर्देशित किया था। 98 में कपूर की फिल्म एलिजाबेथ के लिए जैनी शिरकोर को सर्वश्रेष्ठ मेकअप का ऑस्कर भी मिला था।
दूसरा जुड़ाव :
सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री की श्रेणी में एक अभिनेत्री नामांकित हैं जूली क्रिस्टी फिल्म अवे फ्रॉम हर के लिए। दिलचस्प यह है कि क्रिस्टी का जन्म 1941 में भारत के राज्य असम के एक चाय बागान में हुआ था। 1965 में डार्लिग के लिए ऑस्कर जीत चुकीं क्रिस्टी के जन्म के समय उनके पिता असम के चबुआ टी एस्टेट में मैनेजर थे और छह वर्ष की उम्र में क्रिस्टी परिवार के साथ लंदन चली गई थीं।
ऑस्कर और भारत - कुछ यादें :
>> ऑस्कर जिस भारतीय ने पहली बार जीता था वे हैं भानु अथैया। 1982 में रिचर्ड एटनबरो की फिल्म गांधी में कॉस्टच्यूम के लिए।
>> 1992 में सत्यजीत रे को विश्व सिनेमा में योगदान के लिए विशेष ऑस्कर सम्मान दिया गया था।
>> किसी भारतीय के खाते में सबसे ज्यादा नामांकन का श्रेय कमल हासन के नाम है। उनकी छह फिल्में भारत की तरफ से औपचारिक एंट्री के तौर पर ऑस्कर के लिए भेजी जा चुकी हैं।
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