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Friday, January 11, 2008

फिल्मों में आतंक

साहित्य, कला और आतंक: बहस फिल्मकार आतंकवाद को एक फामरूले की तरह इस्तेमाल करते हैं और इसकी जड़ों में पहुंचने का प्रयास नहीं करते। सरकार और समाज की इस मामले में फामरूला सोच में पीड़ित है।मानव बम पर संतोष शिवन नेएक गंभीर फिल्म बनाई थी।

शेखर कपूर ने अपनी अंग्रेजी फिल्म ‘फोर फीदर्स’ में आधुनिक आतंकवाद की जड़ को ब्रिटिश साम्राज्यवाद में छुपा होने का संकेत किया था। इस अंतरराष्ट्रीय समस्या का गहन अध्ययन अभी तक किया नहीं गया है। सारे प्रयास सतही है। ‘असासीनस सांग’ नाम उपन्यास गंभीर प्रयास है।

करण जौहर आतंकवाद की पृष्ठभूमि पर दो फिल्मों की योजना बना रहे हैं। एक फिल्म लंदन में बसे भारतीय मुसलमान की कहानी है जिसकी हिंदुस्तानी बीबी को मालूम पड़ता है कि उसका शौहर आतंकवादी है और लंदन के हीथ्रो हवाई अड्डे से एक प्लेन को हाइजैक करने की योजना बना रहा है। वह अपने शौहर के खिलाफ बगावत करती है और उसका घर छोड़कर चली जाती है। इस जुदाई की वजह से शौहर की आंखें खुलती है।

करण जौहर स्वयं जिस फिल्म को निर्देशित करने वाले हैं उस फिल्म के नायक शाहरूख खान है। अमेरिका में बसे इस भारतीय मुसलमान को 9/11 के बाद शक की निगाह से देखा जाता है। मणिरत्नम ने ‘रोजा’ भारतीय इंजीनियर को कश्मीर में अपहरण के शिकार होते हुए दिखाया था और उसकी नवविवाहिता सरकार से सहायता की दुहाई करती है।

मणिरत्नम की शाहरूख-मनीषा-प्रिटी जिंटा अभिनीत ‘दिल से’ में मनीषा उत्तरपूर्व के किसी प्रदेश की मानवीय बम है जो दिल्ली में 26 जनवरी के समारोह को ध्वस्त करना चाहती है इस फिल्म के नायक नायिका की पहली मुलाकात लद्दाख में हुई थीं। विनोद चौपड़ा की ‘मिशन कश्मीर’ में आतंकवादी के पुत्र को भारतीय पुलिस अफसर पाल पोसकर युवा करता है, परंतु वह भी गुमराह हो जाता है। आमिर खान अभिनीत ‘सरफरोश’ इस विषय पर बहुत ही सार्थक फिल्म थी।

सैकड़ों सेम्पल कर दिए नष्ट

इंदौर. i एमवाय अस्पताल में वर्षो से पड़े सैकड़ों विसरा सेम्पल गायब हो गए लेकिन कब और कहां? किसी को नहीं पता। लंबे समय से थानों के पुलिसकर्मियों द्वारा सेम्पल नहीं ले जाने से इन्हें नष्ट करने की बात सामने आई है। सेम्पल कब और किसके आदेश से नष्ट हुए हैं, इसकी जानकारी भी किसी के पास नहीं है।

विसरा जांच सालों चलती है जिसके चलते हजारों मामले अटके रहते हैं। फोरेंसिक विशेषज्ञों के अनुसार लगभग 75 प्रतिशत मामलों में विसरा जांच हेतु राऊ भेजा जा रहा है। कारण है- मौत की वजह और बयान स्पष्ट होने के बाद भी कानूनी पक्ष मजबूत होना।

जहां तक मालवा की बात है सबसे ज्यादा जहर खाने, सांप काटने, जहर खुरानी के मामले होते हैं जिसके चलते इनकी विसरा जांच तो भेजी ही जाती है। लेकिन दूसरे मामलों में भी भेजी जाने लगी है।

सेम्पल पोस्टमार्टम कक्ष के पास व ग्राउंड फ्लोर स्थित आकस्मिक चिकित्सा कक्ष में रखते हैं। कई माह तक संबंधित थानों के पुलिसकर्मी इन्हें नहीं ले जाते। कई बार संबंधित थानों को कहा भी गया। सूत्रों के मुताबिक इन्हें संभालने की दिक्कतों के कारण पुराने विसरा सेम्पलों को नष्ट कर दिया गया जिसके चलते अब केवल नए मामलों के ही विसरा सेम्पल हैं।

इसलिए नहीं ले जाते पुलिसकर्मी

रोज के 8-10 पोस्टमार्टम होने से प्रक्रिया में समय लगता है। विसरा की स्थिति में पुलिसकर्मियों को बाद में सेम्पल ले जाने को कहा जाता है। इसके चलते पुलिसकर्मियों को कुछ दिनों बाद थाने से अस्पताल आना पड़ता है। फिर वहां से सेम्पल लेकर राऊ स्थित क्षेत्रीय न्यायायिक विज्ञान प्रयोगशाला में जमा करना होता है।

प्रयोगशाला काफी ऊंचाई पर और पथरीला रास्ता है। इन दिक्कतों के कारण पुलिसकर्मी सेम्पल नहीं ले जाते। एक कारण यह भी है कि जांच रिपोर्ट डेढ़-दो वर्ष बाद आती है इसलिए वे इसे गंभीरता से नहीं लेते। कुछ पुलिसकर्मियों का मानना है कि विसरा ले जाने में अनहोनी हो जाती है। इसे लेकर वे ले जाने में हिचकते हैं।

हजारों जांचें और लोग सिर्फ 15

इन सभी जांचों के लिए लैब में अभी रसायन, भौतिकी और बायोलॉजी संबंधी तीन अलग-अलग सेक्शन हैं। हर वर्ष रसायन नारकोटिक्स, विजिलेंस ट्रैप के 350 व जहर संबंधी 2000 से ज्यादा केस आते हैं जिनमें सांप व जानवर के काटने के मामले भी हैं।

खून की 1500 से ज्यादा तथा सीरम के 500 सेम्पल जांच के लिए आते हैं लेकिन इसके लिए अमला सिर्फ 15 लोगों का है। इनमें सात अधिकारी (डॉक्टर्स, वैज्ञानिक) तथा बाकी टेक्नीशियन्स व कर्मचारी हैं।

क्यों बढ़ रहे हैं विसरा केस

कोर्ट में आने वाली अड़चनों से बचने के लिए अधिकारी पोस्टमार्टम के दौरान डॉक्टर्स को विसरा जांच भी करवाने का कहते हैं जिससे संख्या बढ़ रही है। हालत यह है कि अस्पताल और लैब में हजारों की तादाद में विसरा सेम्पल धूल खा रहे हैं।

इसी तरह खून के 3900 से ज्यादा मामले लंबित हैं। इनमें घटनास्थल पर मिला मृतक व आरोपियों का खून तथा हथियार पर लगे खून, बाल आदि की जांच आदि हैं।

कोर्ट की इस संपत्ति का अब क्या होगा?

नष्ट सेम्पलों की जांच पुलिस द्वारा कोर्ट में पेश की जाना थी। सेम्पल किसके व किस थाने से संबद्ध थे, अब पता लगाना मुश्किल है। इनकी जांच रिपोर्ट नहीं मिलने से कोर्ट की कार्रवाई प्रभावित होगी। फोरेंसिंक विभागाध्यक्ष डॉ. एस.के. दादू के मुताबिक हम तो सेम्पल थाने के पुलिसकर्मी व अस्पताल स्थित पुलिस चौकी के सुपुर्द कर देते हैं।

-महीनों तक पुलिस सेम्पल नहीं ले जाती इसलिए इन्हें रखने की दिक्कत तो है ही, साथ ही दरुगध भी फैलती है। मामला मेरी जानकारी में नहीं है। मैं मामले की जांच कराऊंगा'

सैक्स टेप: बदनामी से भी नाम कमाया

न्यूयॉर्क.

हॉलीवुड अभिनेत्रियां चर्चा में बने रहने के लिए हमेशा कुछ न कुछ करती रहती हैं। कभी किसी स्टार अभिनेता के साथ अफेयर तो कभी किसी फिल्म में आपत्तिजनक दृश्य देना। इन्हें पता है कि ऐसा करके ये आसानी से सुर्खियां बटोर सकती हैं। ऐसी ही कुछ अभिनेत्रियां हैं जिनके सेक्स टेप बहुत चर्चित हुए।

पेरिस हिल्टनपेरिस हिल्टन के पूर्व ब्वायफ्रेंड रिक सैलमन ने जब पेरिस का सेक्स वीडियो बेचने की घोषणा की थी तब कहा गया था कि पेरिस बहुत डर गई है। हालांकि बाद में यह अफवाह निकली। पेरिस को इस टेप से 6 लाख डॉलर मिले। पेरिस कहती है कि उसे इस टेप की बिक्री से कोई राशि नहीं मिली है लेकिन उसे अच्छी खासी चर्चा मिल गई है।

पामेला एंडरसन

बेवॉच गर्ल पामेला एंडरसन ने अपने सेक्स टेप की बिक्री के लिए पूर्व पति टॉमी ली के साथ काफी झगड़ा किया था लेकिन इसे इंटररेट पर रिलीज होने से रोक नहीं सकी। इसके बाद से ही वह अदालतों के चक्कर काट रही है। उसे डर है कि कहीं पूर्व ब्वायफ्रेंड ब्रेट माइकल्स के साथ वाला उसका टेप इंटरनेअ पर रिलीज न हो जाए।

लोरेन कोनार्डलोरेन कोनार्ड ने पहले तो अपना कोई सेक्स वीडियो होने से इंकार किया था लेकिन जब उसका वीडियो इंटरनेट पर आया तो इसके लिए उसने अपने पूर्व ब्वायफ्रेंड स्पैन्सर प्रैट, अपनी दोस्त हीदी मोंटेग पर यह आरोप लगाया कि वे उसे बदनाम करने के लिए ऐसा कह रहे हैं। इसके बाद कोनार्ड और हीदी की दोस्ती टूट गई। हालांकि बाद में स्पैन्सर ने आरोप लगाया कि यह सब कोनार्ड के नए प्रेमी ब्रॉडी जैनर का किया हुआ है।

केट मॉसकेट मॉस ने भले ही अपने प्रेमी पीट डोहर्टी के साथ संबंध तोड़ लिए हों लेकिन उसके सैक्स टेप ने उसे फिर से चर्चा में ला दिया है। मॉस कोशिश कर रही है कि पीट इसे न बेचे। यह तब शूट हुआ था जब ये दोनों न्यूयॉर्क के एक होटल में मस्ती कर रहे थे।

किम कारदाशियांकिम उस वक्त सुर्खियों में आई थी जब उसने मीडिया के सामने यह मान लिया था कि गायक रॉबर्ट जे के सैक्स वीडियो में उसके साथ दिखने वाली लड़की वही है। किम ने अपने इस वीडियो से 20 लाख डॉलर कमाए थे।

रूई का निर्यात 70 लाख गांठ तक होने की आशा

इंदौर.cotton चालू रूई वर्ष में विश्व स्तर पर रूई के उत्पादन में 3 प्रतिशत की कमी रही है। इसका प्रमुख कारण अमेरिका, चीन, पाकिस्तान आदि में उत्पादन कम होना है जबकि भारत के उत्पादन में 10.7 प्रतिशत की वृद्धि होने के समाचार हैं।

देश की मिलों की रूई खपत में तेजी के साथ सुधार हो रहा है। इसका प्रमुख कारण रूई की क्वालिटी में काफी सुधार होने से आयात में कमी आई है। देश में अभी तक 38 प्रतिशत के लगभग रूई की आवक होने के समाचार हैं। इस बार रूई का निर्यात बढ़कर 70 लाख गांठ तक होने की संभावना है।

वर्तमान में निर्यातकर्ताओं की खरीदी में रुकावट आने से भावों में आंशिक गिरावट आई है, लेकिन भविष्य लंबी मंदी का नहीं है। वर्तमान में मुंबई और कोलकाता तरफ के निर्यातकर्ताओं की लेवाली अपेक्षित नहीं है जबकि दक्षिण भारत के निर्यातकर्ताओं की पूछपरख बराबर बनी है।

पाकिस्तान भारत से 5 लाख गांठ रूई शार्ट स्टेपल की खरीदी के सौदे करने का विचार कर रहा है। पाकिस्तान में स्थिति संतोषप्रद नहीं होने से निर्यात में देरी हो सकती है ऐसी संभावना है। देश में रूई का उत्पादन अच्छा होने और निर्यात के साथ खपत को पूर्ण करने के बाद भी रूई की उपलब्धि सुगमतापूर्वक रहेगी ऐसी संभावना है।

उत्तर भारत में ठंड अधिक होने से आवकों में कमी है। देश में रूई की आवक 2.25 लाख गांठ के लगभग प्रतिदिन हो रही है। कपास के भाव समर्थन मूल्य से ऊंचे होने से महाराष्ट्र फेडरेशन और सी.सी.आई. को भी अधिक रूई की प्राप्ति नहीं हो रही है। गुजरात की संकर 6 रूई के कामकाज 20800 से 21000 रुपए के भाव से हो रहे हैं। महाराष्ट्र बायवन 19300 रुपए के भाव से व्यापार होने के समाचार हैं। प्रदेश में रूई के भावों में लगभग 300-400 रुपए की नरमी रही है।

निर्यातकर्ताओं और मिलों की पूछपरख शुरू होने पर भावों में सुधार हो सकता है। वर्तमान में 28 एमएम 19600 रुपए 29 एमएम 19800 रुपए 30 एमएम 20000 रुपए और 32 एमएम 20500 रुपए के भाव रहे हैं। 32 एमएम रूई का कामकाज सीमित है। न्यूयॉर्क रूई वायदा बाजार में मार्च और जुलाई वायदा में कामकाज सीमित होने के साथ लंबी तेजी नहीं है।

सबसे खराब ड्रेस

लास एजेलिसVictoriya_beckhamकहते है ना बदनाम हुए तो क्या हुआ, नाम तो हुआ। वही हाल बिक्टोरिया बेकहम का है। उन्हें यह अच्छी तरह से पता है कि न्यूज में कैसे रहा जाता है। बिक्टोरिया बेकहम को इस साल सबसे खराब ड्रेस की खिताब से नवाजा गया है।

वक्त वक्त की बात है, धनी और फेमस लोगों के कपड़े डिजाइन करने वाले ड्रेस डिजाइनर ब्लैक वेल ने बिक्टोरिया को 1998 पहले भी वस्र्ट ड्रेस का खिताब दिया था, उन्हीं ने उसे इस साल भी वर्स्ट ड्रेस की पदवी से नवाज दिया। मतलब दस में कोई फर्क नहीं आया है।

ब्लैकवेल ने यह लिस्ट पहली बार 1960 में निकाली थी। ब्लैकवेल हर साल यह लिस्ट सिर्फ मस्ती के लिए निकालते हैं। अपना इस लिस्ट के बारे में बात करते हुए ब्लैकवेल कहते हैं कि स्पाईस गर्ल क्वीन बिक्टोरिया क्या पहनती हैं, मुझे तो बिल्कुल समझ में नहीं आता, फैशन तो छोड़िए,उनकी स्कर्ट तो देखने लायक भी नहीं होती।

उन्होनें चुटकी लेते हुए कहा कि बिक्टोरिया स्पाइस गर्ल की ऐसी स्पाईस हैं जिसमें कोई टेस्ट नहीं है। गौरतलब है कि ब्लैकवेल ने बेस्ट ड्रेस की भी लिस्ट निकाली है। उनके इस लिस्ट में एंजेलिना जोली,बेयोन्स, निकोस किडमैन इत्यादी को जगह मिली हैं।

सचिन ने दी युवी को बेटिंग टिप्स

कैनबरा: मास्टर ब्लॉस्टर सचिन तेंडुलकर ने खराब फार्म से गुजर रहे युवराज सिंह को कुछ अहम बेटिंग टिप्स दी हैं। यहां खेले जा रहे एसीटी आमंत्रित एकादश के खिलाफ तीन दिवसीय अभ्यास मैच के दूसरे दिन के खेल के बाद सचिन ने युवी के साथ नेट पर काफी समय बिताया।

इस सिरीज में अब तक खेले गए दोनों टेस्ट मैचों में युवी खासे असफल रहे हैं। वे पिच पर टिककर एक दर्जन गेंदे भी नहीं खेल पा रहे हैं। वे ऑस्ट्रेलियाई पिचों का मिजाज अब तक समझ नहीं पाए हैं।

सचिन ने युवी से कहा है कि पिच पर पहुंचने के बाद शॉट खेलने में जल्दबाजी न करें। उन्होंने सिडनी टेस्ट में 154 रनों की पारी खेलकर एक उदाहरण पेश किया है। वहां उन्होंने अपने ट्रेडमार्क शॉट हुक और पुल से उस समय भी परहेज करा जब वे 90 रनों पर खेल रहे थे।

सचिन ने नोटिस किया कि युवी का फंट लेग कुछ ज्यादा ही क्रास जा रहा है। इससे वे स्ट्रोक खेलने की स्थिति में नहीं आ पाते। उन्होंने युवी को सलाह दी कि वे अपना फ्रंट लेग कवर के स्थान पर मिड ऑफ की ओर रखें।

Monday, January 7, 2008

मल्लिका शेरावत की मुगलई कोशिश

परदे के पीछे. मल्लिका शेरावत ‘मान गए मुगले आजम’ नामक हास्य फिल्म में नौशाद-शकील की अमर रचना ‘प्यार किया तो डरना’ के अनु मलिक द्वारा पुन: बनाए गए संस्करण पर मधुबाला की अदा में नृत्य प्रस्तुत करने जा रही हैं। इस हास्य फिल्म में किस दृश्य के अनुरूप यह गीत प्रस्तुत किया जा रहा है, यह बताना कठिन है परंतु ‘मुगले आजम’ में यह मामूली परिवार में जन्मी अनारकली का विद्रोह गीत है और इश्क के सामने एक शक्तिशाली शहंशाह के नजरें झुकाने का दृश्य है- ‘परदा नहीं जब कोई खुदा से, बंदों से परदा करना क्या।’

ज्ञातव्य है कि इस गीत के लिए कांच महल बनाया गया था और यह केवल अकबर की शान के लिए नहीं बनाया गया था, वरन एक विशेष क्षण को नाटकीय ऊंचाई देने के लिए बनाया गया था। बांदी अनारकली की छवि सैट पर लगाए गए हजारों शीशों में नजर आती है, जब वह गाती है-‘छुप न सकेगा इश्क हमारा, चारों तरफ है उनका नजारा।’

कांच के टुकड़ों में उभरी प्रेमियों की छवियां एक शहंशाह को बौना बना देती हैं। पृथ्वीराज कपूर के चेहरे पर क्रोध और बेबसी के भाव उभर आते हैं। इस कांच महल में परछाइयों के कारण शूटिंग करना असंभव लग रहा था और विदेश से आए विशेषज्ञ भी परेशान थे, परंतु कैमरामैन आरडी माथुर ने सफेद चादरों पर बाऊंस लाइट का इस्तेमाल करके इस अद्भुत छायांकन को संभव बनाया।

अनारकली अपना खंजर अकबर के चरणों में रखती है-‘आज कहेंगे दिल का फसाना, जान भी ले ले चाहे जमाना।’ यह गीत भारतीय सिनेमा के महानतम प्रस्तुतीकरण में शिखर का स्थान रखता है, क्योंकि एक तीव्र भावना वाला दृश्य प्रस्तुत किया गया है और गीत पटकथा का अविभाज्य अंग बनकर उभरता है।

इस तरह के प्रस्तुतीकरण ही भारतीय सिनेमा की अपनी निजी पहचान हैं। दुनिया के किसी भी देश के सिनेमा में गंभीर नाटकीय मसला इस तरह नृत्य गीत द्वारा प्रस्तुत नहीं किया जाता। हमारी सिनेमाई ऊर्जा की यही गंगोत्री है। इश्क के केंद्रीय होने को शकील इस तरह प्रस्तुत करते हैं ‘इश्क में जीना, इश्क में मरना, और हमें अब करना क्या।’

शकील साहब इस कदर हिंदुस्तानी थे कि उर्दू में लिखते हुए भी उन्होंने दिलीप कुमार की ‘गंगा जमुना’ में क्षेत्रीय भाषा में कमाल के गीत लिखे क्योंकि दिलीप साहब ने सारे संवाद भी पूरबी में रखे थे। यह बहुत साहस का काम था कि इतनी महंगी फिल्म पूरी तरह क्षेत्रीय भाषा में गढ़ी जाए।

बदायुं के रहने वाले शकील साहब ने कितनी सहजता से लिख दिया’ नैन लड़ जाइवे तो मनवा में कसक होइबे करी।’ इसी से प्रेरित होकर आमिर खान ने ‘लगान’ भी पूरबी में गढ़ी। जावेद अख्तर ने भी उसी शैली में गीत लिखे। आज के घोर असहिष्णुता के दौर में कैसे जानें लोग हमारे सिनेमा की हिंदुस्तानियत और कैसे समझें विलुप्त होती सी गंगा-जमुनी संस्कृति।

यह हरभजन की ही लड़ाई नहीं है

संपादकीय. सिडनी क्रिकेट टेस्ट मैच में फील्ड अंपायरों-स्टीव बकनर और मार्क बेंसन के पक्षपातपूर्ण फैसलों की बदौलत लगभग ड्रा हुआ मैच जीतने के बाद टीम ऑस्ट्रेलिया ने एंड्र्यू सायमंड्स के खिलाफ कथित नस्लवादी टिप्पणियां करने के लिए हरभजन सिंह पर तीन टेस्ट मैचों के लिए प्रतिबंध लगवाकर टीम माइंड गेम में अपनी महारत एक बार फिर साबित कर दी है। ऊल-जुलूल फब्तियां कसकर विरोधी टीम के खिलाड़ियों को उकसाने और उनका ध्यान भंग करने में ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों का कोई सानी नहीं है। हरभजन को उत्तेजित करने के लिए उन्होंने यही हथकंडा अपनाया। अगर उकसाए जाने पर हरभजन ने सायमंड्स के लिए कोई तीखी टिप्पणी कर भी दी, तो उसे नस्लभेदी करार दिया जाना कतई न्यायोचित नहीं है।

खेद की बात है कि मैच रेफरी माइक प्रॉक्टर ने इस मामले की सुनवाई में हरभजन के साथ दूसरे छोर पर खेल रहे असंदिग्ध निष्ठा वाले खिलाड़ी मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंडुलकर के पक्ष की सरासर अनदेखी की और केवल ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों के पक्ष पर भरोसा करके मान लिया कि हरभजन ने सायमंड्स के लिए 'बिग मंकी' संबोधन का इस्तेमाल किया था। जाहिर है कि प्रॉक्टर का यह फैसला नैसर्गिक न्याय की कसौटी पर खरा नहीं उतरता है। ऐसे में भारत के क्रिकेट प्रतिष्ठान के सामने इस फैसले को ठुकराने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। उसे इंटरनेशनल क्रिकेट कौंसिल समेत हर उचित मंच पर प्रॉक्टर के फैसले के प्रति कड़े से कड़ा विरोध जताकर हरभजन के लिए सही न्याय हासिल करने के प्रयास करने में जरा भी ढील नहीं देनी चाहिए।

इस मौके पर टीम इंडिया और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने हरभजन सिंह के साथ खड़े रहने का फैसला करके बिलकुल सही कदम उठाया है। वैसे भी अब यह महज हरभजन की लड़ाई नहीं रह गई है बल्कि टीम इंडिया और पूरे भारतीय क्रिकेट प्रतिष्ठान की अस्मिता की लड़ाई बन गई है। टीम ऑस्ट्रेलिया के बड़बोले खिलाड़ियों को न तो नस्लभेद की ठीक-ठाक समझ है और न ही कभी उन्हें इसके दंशों का शिकार होना पड़ा है जबकि हम भारतीयों ने न केवल नस्लवाद के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी है बल्कि इसके शिकार अन्य देशों और लोगों को भी प्रेरणा दी है। यदि आईसीसी टीम इंडिया के ऑस्ट्रेलिया दौरे के शेष टेस्ट मैचों में हरभजन के खेलने पर रोक नहीं हटाती है, तो भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड को दौरा रद्द करने का विकल्प खुला रखना चाहिए।

बढ़ती लागत ने बढ़ाई आफत

इंदौर.indore बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (बीआरटीएस) के पायलट कॉरिडोर की लागत बढ़ने के साथ पेचीदगियां भी बढ़ रही है। कभी एक हिस्सा एलिवेटेड बनाने की बात उठी तो कभी चौड़ाई बढ़ाने की। शुरुआत में इसकी लागत 98.70 करोड़ रुपए आंकी थी। उतने में पहली बार टेंडर नहीं आए। दूसरी बार 137.70 करोड़ रुपए में काम देना तय हुआ।

मास्टर प्लान-2021 में निरंजनपुर से राजीव गांधी प्रतिमा तक पूरा एबी रोड 60 मीटर कर दिया है जबकि पुराने मास्टर प्लान में एलआईजी तिराहे से जीपीओ तक 30 मीटर था। बदली परिस्थितियों में यह सवाल उठने लगा है कि ऐसे बदलाव होते रहे तो कॉरिडोर तय स्वरूप में बन पाएगा भी या नहीं। फिलहाल इंदौर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेस लिमिटेड (आईसीटीएसएल) पहले से तय योजना पर ही काम करेगी।

बढ़ी लागत कौन वहन करेगा :
नए प्लान के अनुसार चौड़ाई बढ़ाने के लिए प्रोजेक्ट फिर से बनेगा और लागत 30 करोड़ रुपए तक बढ़ सकती है। इसकी मंजूरी जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण मिशन से फिर लेना होगी। लागत के अलावा बीच शहर में इतनी तोड़फोड़ का जिम्मा कौन लेगा? कॉरिडोर बना रहा प्राधिकरण इससे इंकार करता है क्योंकि वह एलिवेटेड कॉरिडोर की जिम्मेदारी भी ले चुका है। नगर निगम भी बीआरटीएस का रीवर साइड कॉरिडोर बना रहा है इसलिए कोई और आर्थिक बोझ उठाना नहीं चाहेगा।

यह असंभव है :
प्राधिकरण अध्यक्ष मधु वर्मा ने बताया एलआईजी तिराहे से जीपीओ तक बीआरटीएस कॉरिडोर की चौड़ाई 60 मीटर करने का मामला टाउन एंड कंट्री प्लानिंग से समझना पड़ेगा। प्लान-2021 में रोड के नक्शे में चौड़ाई 60 मीटर है और लिखित बिंदु में 100 फीट। चौड़ाई वाकई 200 फीट है तो बीच शहर में इतने निर्माण नहीं हटाए जा सकते। सभी की रजिस्ट्री है और करोड़ों रुपए मुआवजा देना पड़ेगा जो संभव नहीं।

प्रोजेक्ट फिर भेजना पड़ेगा :
कलेक्टर विवेक अग्रवाल ने बताया पुराने मास्टर मास्टर प्लान में जहां सड़क 30 मीटर चौड़ी थी वहां 60 मीटर बनाना है तो सर्वे कर जेएनएनयूआरएम से स्वीकृति लेना पड़ेगी। अभी तो 30 मीटर का ही काम ठेकेदार फर्म को दिया है। इसमें तत्काल बदलाव नहीं होगा। आईसीटीएसएल के सीईओ चंद्रमौलि शुक्ल भी पहले से तय योजना पर ही काम जारी रहने की बात कह रहे हैं।

दिक्कतों का कोई ठोर नहीं :
बीआरटीएस पायलट कॉरिडोर के काम में कई परेशानियां आ रही हैं। ड्रेनेज और वाटर लाइन का नक्शा नहीं होने से काम अंदाज से चल रहा है। ठेकेदार कंपनी खुदाई करती है तो कहीं टेलीफोन केबल कटती है तो कहीं पानी की लाइन फूटती है। जून तक दो हिस्से पूरे करने का लक्ष्य तय है लेकिन काम हो जाएगा कहा नहीं जा सकता।

दूसरे छोर से भी खुदाई शुरू, अब हटेंगे अतिक्रमण :
राजीव गांधी प्रतिमास्थल से भंवरकुआं के बीच भी खुदाई सोमवार से शुरू हो गई। नगर निगम ने प्रतिमा स्थल से भंवरकुआं तक रोड के दायरे में आ रहे निर्माण हटाने के लिए चूने की लाइन डालना शुरू कर दिया है। श्री शुक्ल ने बताया चार-पांच दिन में राजीव गांधी प्रतिमा स्थल से नौलखा तक के अतिक्रमण नगर निगम की मदद से हटाएंगे। प्राधिकरण सूत्रों ने बताया नए पाइप आना शुरू हो गए हैं जो निरंजनपुर छोर से डाले जा रहे हैं। वहां सड़क भी बनाई जा रही है।

कितने अतिक्रमण :
नगर निगम ने 11.6 किलोमीटर कॉरिडोर के दायरे में आ रहे निर्माणों को हटाने के लिए पहले ही नोटिस दे दिए हैं। निरंजनपुर से विजयनगर तक का हिस्सा को अतिक्रमणमुक्त हो गया है। निगम के सिटी इंजीनियर हरभजनसिंह ने बताया मौटे तौर पर कॉरिडोर में 123 बड़े निर्माण हैं और 13 धर्मस्थल हैं। आईसीटीएसएल से राजीव गांधी प्रतिमा स्थल के छोर से अतिक्रमण हटाने का पत्र मिला है। निगमायुक्त नीरज मंडलोई से दिशानिर्देश लेकर आने वाले दिनों में आगे की कार्रवाई की जाएगी।

नारीयल की चटनी

नवरात्रि के दौरान उपवास किया जाता है और सूर्यास्त के बाद एक बार ही भोजन किया जाता है, इसलिए नवरात्रि रेसिपीज कुछ अलग हटकर होती हैं। इनका शाकाहारी होना एक आवश्यक शर्त है। इनमें प्याज और लहसुन का प्रयोग वर्जित है। इन दिनों बनने वाले व्यंजनों में कुछ खास सामग्रियांे और सब्जियों का प्रयोग होता है। जैसे जैसे क्षेत्र बदलता है वैसे वैसे पकवानों में भी विविधता दिखने लगती है। मसालों में सिर्फ लाल मिर्च, हल्दी और जीरा का उपयोग होता है। सारे पकवानों में सेंधा नमक का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि इस दौरान दूध, दही, बादाम और फलों के सेवन की स्वतंत्रता रहती भास्कर डॉट कॉम की ओर से नवरात्रि के मौके पर स्वादिष्ट व्यंजनों की कुछ विधियां प्रस्तुत की जा रही हैं.. coconut chatni................

आवश्यक सामग्री
3 हरी मिर्च2 छोटा चम्मच कटा हुआ धनिया
1 नींबू का रस निचोड़ा हुआ
1/2 चम्मच चीनी
1/2 जीरा दाना
स्वाद के मुताबिक नमक

विधि
नारियल, मिर्ची और धनिया को एक साथ क्रश कर लें।
उसमें आधा जीरा दाना,चीनी,नमक और नींबू का रस मिला लें।
जहां तक संभव हो कम से कम पानी का उपयोग कर मिक्सी में सबको मिला लें।
प्याली में इसे बिखेरकर रख दें।
एक छोटे पैन में इसे नर्म करने के लिए तेल गर्म कर लें।
अब बचे हुए जीरे दाने को इसमें मिला लें और इसे उबलते रहने दें।
इसे चटनी के ऊपर उड़ेल लें।
अगर आपकी इच्छा हो तो इसे कटे हुए धनिए से सजा लें।
नारियल की चटनी को पराठा, खिचड़ी, पकोड़े आदि के साथ परोसा जा सकता है।

नवरात्रि पकवान: केले का कोफ्ता

चूंकि नवरात्रि के दौरान उपवास किया जाता है और सूर्यास्त के बाद एक बार ही भोजन किया जाता है, इसलिए नवरात्रि रेसिपीज कुछ अलग हटकर होती हैं। इनका शाकाहारी होना एक आवश्यक शर्त है। इनमें प्याज और लहसुन का प्रयोग वर्जित है। इन दिनों बनने वाले व्यंजनों में कुछ खास सामग्रियांे और सब्जियों का प्रयोग होता है। जैसे जैसे क्षेत्र बदलता है वैसे वैसे पकवानों में भी विविधता दिखने लगती है।

मसालों में सिर्फ लाल मिर्च, हल्दी और जीरा का उपयोग होता है। सारे पकवानों में सेंधा नमक का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि इस दौरान दूध, दही, बादाम और फलों के सेवन की स्वतंत्रता रहती है..

1. केले का कोफ्ता
kela kofta
................
आवश्यक सामग्री

कोफ्ते के लिए
10 ग्राम अदरक और हरी कटी हुई मिर्च
2 ग्राम जीरा
6 कच्चे केले
1 ग्राम हींग
5 ग्राम गरम मसाला पाउडर
नमक

ग्रेवी के लिए
2 ग्राम जीरा
250 ग्राम मिला हुआ दही
3 ग्राम लौंग
4 तेजपत्ता
1 ग्राम हींग
5 ग्राम कटा हुआ अदरक और हरी मिर्च
25 मिलीलीटर तेल
1.5 ग्राम हल्दी
50 मिलीलीटर पानी
5 ग्राम गरम मसाला पाउडर
2 ग्राम लाल मिर्च पाउडर

सजावट के लिए
3 ग्राम रंग रोगन
5 ग्राम कटा हुआ धनिया

विधि
सर्वप्रथम कच्चे केले को उबालकर उसे अच्छी तरह से मसल लें।
मसले केले में बची हुई आवश्यक सामग्रियों को मिलाकर, उसका बॉल बनाकर, उसे गहरे तल लें।
ग्रेवी के लिए तेल गर्म कर लें। उसमें लौंग, जीरा, हींग, तेजपत्ता, हल्दी, हरी मिर्च, मिला हुआ दही, गरम मसाला पाउडर, लाल चिली पाउडर, हल्दी और इन सब के अनुपात में पानी डालें।
इन सबको चटनी के रूप में बना लें।
अंत में इसमें कोफ्ता मिला लें। सर्व करने से चंद मिनट पहले इसे धीरे धीरे खौलाना ना भूलें।
रोगन और कटा हुए धनिया पत्ता से डिश को सजा डालें।

ओह! हा! हा ! बर्थ डे पार्टी

लगता है वे दिन बीत गए। बर्थ डे पार्टी में बहुत ही निकट के जिन्हें आप क्लोज फ्रंेड्स कह सकते हैं, उनके बगो और बर्थडे बॉय या गर्ल के पांच-छह फेंड्र्स ही बुलाए जाते थे। मम्मी लोग बगाों को पार्टी में भेजने से पहले कई समझाइश देकर भेजती थीं।

इधर-उधर भागना नहीं, आंटी प्लेट में जो भी खाने को दें, थैंक्यू बोलना। सबसे ज्यादा जरूरी निर्देश तो यह होता था कि कपड़ों पर कुछ भी नहीं गिराना। एक तो यह बैड मैनर्स है। सब लोग देखेंगे तो बोलेंगे कि तुम्हें मम्मी ने ठीक से खाना भी नहीं सिखाया और दूसरी तुम्हारी पार्टी ड्रेस खराब हो जाएगी। ऐसी ड्रेसेस भी ज्यादा नहीं होती थी।

मतलब यह कि बर्थ डे पार्टी में जाना भी एक डिसिप्लंड प्रोग्राम होता था। बहुत सारे कायदे-कानूनों का पालन करना होता था। बर्थडे गेम्स भी शालीनता से खेली जाती थी। अब क्या ऐसी बर्थ-डे पार्टी होती हैं? एक पार्टी की दृश्यावली हॉरर थीम पर थी। बगो काले कपड़े पहने, हड्डियां लटकाए, कहीं गालों पर डरावनी मूंछे और दाढ़ी पेंट किए हुए हा-हू-हू की आवाजें निकाल रहे थे।

घर की दीवारों पर डरावना चित्र लगे हुए थे। हड्डियां भी (बोंस) भी लटकी थी। बर्थ डे केक में एक विच (डायन) बनी हुई थी। जिसे काटकर खुशी में बगाों ने बहुत भयानक आवाजें निकालीं, चीखें मारीं। एक और बर्थ डे पार्टी रेड इंडियन थीम पर था। बगाों के चेहरे लाल, नीले, हरे रंगों के पेंटेड थे। वे ऊपर भी कुछ नहीं पहने थे। नीचे कुछ ने पत्तों की और कुछ ने अलग-अलग रंगों की पहियों वाली ड्रेस बनवाई गई थी।

सिर पर तरह-तरह के बैंडस लगे थे जिन पर पंख लगे थे। किसी तेज म्यूजिक पर बच्चों ने रेड इंडियन डांस किया। जो बहुत सारी चीखों , चिल्लाहटों से भरा था। शोर शराबे का यह आलम था कि पता ही नहीं चल रहा था कि यह पार्टी है या कोई रेड इंडियन गांव। शायद वहां भी कायदे की ही आवाजें होती होंगी। कुछ समय बाद एक-दो प्लेटे गिरीं-फूट गईं।

कोक और पेप्सी के गिलास भी कार्पेट पर लूड़के। केक काटने के बाद छीना झपटी का जबरदस्त माहौल बना। किसी को उसका पिंक फ्लॉवर और किसी को ग्रीन लील चाहिए था। पार्टी के बाद र्टिन गिफ्ट लेने की भी जबरदस्त उतावली थी। थैंक यू पता नहीं कहां गया। गिफ्ट लेने की होड़ थी। क्या हम इस पर मुंह फुलाएं, नाराज हों, नहीं-नहीं। क्या खुश हों- यह भी नहीं-नहीं, बस इतना करें कि कुछ शालीनता, शिष्टता के साथ और अच्छी थीम के साथ भी बर्थ डे मनाएं।

छुट्टियों में भी काम

बॉलीवुड.bips अदाकारा बिपाशा बसु ने बांग्ला प्रेम और काम के प्रति अपनी लगनशीलता का परिचय देते हुए एक मिसाल कायम कर दी है। उन्होंने अपनी बंगाली फिल्म की शूटिंग को पूरा करने के लिए अपनी सालाना छुट्टियां कुर्बान कर देने का फैसला किया है। ज्ञात हो कि रितुपर्णो घोष द्वारा निदेशित यह फिल्म सब चोरित्र काल्पोनिक बिपाशा की पहली बंगाली मूवी है।

उनके इस कदम पर श्री घोष फूले नहीं समा रहे हैं। उन्होंने भावुक होते हुए कहा कि अभी तक हम बिपाशा की प्रतिभा को पूरी तरह परखने में कामयाब नहीं हुए हैं और उनसे बहुत कुछ दर्शकों को मिलना अभी शेष है।

विदित हो कि इस फिल्म में बिपाशा के साथ श्री घोष के चहेते प्रसेनजीत मुख्य भूमिका में हैं। श्री घोष ने बताया कि चूंकि उनका पूरा ध्यान नंदीग्राम की घटना पर केंद्रित था, इसलिए वे किसी भी अन्य प्रोजेक्ट के लिए समय नहीं निकाल पा रहे थे। ये बंगाली प्रोजेक्ट इसलिए आकार ले पाया क्योंकि इसकी स्क्रिप्ट मेरे पास काफी दिनों से तैयार बनी पड़ी थी और मं बिपाशा के साथ काम करने का इच्छुक भी था।

बिपाशा ने भी प्रोजेक्ट को देखते ही हामी भर दी थी। इस फिल्म में उनका रोल एक बंगाली एनआरआई की है। ऐसा कहा जा रहा है कि चूंकि बिपाशा की बंगाली भाषा कमजोर है पर एनआरआई की भूमिका में वे पूरी तरह फिट बैठती हैं। उनके संवादों में अंग्रेजी और बांग्ला भाषा का मिला जुला प्रयोग किया गया है।

पुरानी यादों को ताजा करते हुए रितुपर्णो घोष ने बताया कि बिपाशा को खोजकर दर्शकों के सामने लाने में उनका बहुत बड़ा हाथ है। उन्होंने बताया कि जब अपर्णा सेन की मैग्जिन के लिए सौंदर्य प्रतियोगिता चल रही थी तो वे ही उस समय जज थे। यही वह पहली प्रतियोगिता थी जब बिपाशा ने रैम्प पर अपने जलवे बिखेरे थे।

Sunday, January 6, 2008

सरकारें बदलेंगे मंगल और शनी

ग्रह योग. planets वर्ष 2008 में पड़ने वाले विक्रमीय संवत्सर के योगों में शनि व मंगल का वक्री होना असंतोष व राजनीतिक अस्थिरता को बढ़ावा देगा। युद्ध, उन्माद या आतंकवाद से जनजीवन प्रभावित होने से इनकार नहीं किया जा सकता। यह योग वित्त की हानि व पशुधन में कष्ट पहुंचाने वाला भी है।

ज्योतिष के संवत्सरफल-दिग्दर्शक ग्रंथों में नारद मुनि कृत ‘मयूरचित्रम्’ बहुत विश्वसनीय माना जाता है। इसमें बारहों महीनों में वर्षा, कृषि, बाजार, परस्पर संबंध, लोकजीवन, युद्ध-आतंक, राजनीतिक उथल-पुथल पर योगों के अनुसार विचार किया गया है। इस ग्रंथ के मतों के अनुसार पौष माह की अमावस्या को मूल नक्षत्र होने से घास की कीमतें सामान्य रहेंगी और फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष में प्रतिपदा तिथि बढ़ने से जनता के सुखों में वृद्धि होगी।

इस वर्ष शनि के वक्री काल में अमेरिका का वर्चस्व घटेगा। पौष की पूर्णिमा को रविवार होने से विश्व में तनाव व आतंकवाद बढ़ सकता है और कहीं युद्ध भी हो सकता है। शुक्ल पक्ष में वृद्धि तिथि की अपेक्षा क्षय तिथियों की अधिकता होने से पूरे वर्ष का समय सरकार व जनता के लिए कष्टकारक रहेगा। शनि व राहु दोनों के सिंह राशि में होने से सरकारों को राजनीतिक भय रहेगा।

वर्ष कुंडली में सूर्य से मंगल ग्रह आगे चल रहा है, जो वर्षा में विलंब या कमी को दर्शाने वाला है। देश के कतिपय भागों में गत मार्गशीर्ष के कृष्ण पक्ष में बारिश हुई है जो आषाढ़ मास में पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र से वष्र की संभावना को दर्शाता है। एक अन्य योग जो वर्षा की कमी को बताता है वह यह कि इस वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का क्षय हुआ है और उस दिन रविवार भी है, जो अन्न की कमी को बता रहा है।

ज्येष्ठ के दोनों पक्षों में प्रतिपदा को बुधवार है जो जनता को भय और बीमारियां देने वाला है। ऐसे में प्रत्येक जातक को अपनी-अपनी राशि के अनुसार पूजा-पाठ, शिव तथा चक्रधारी विष्णु की आराधना करना श्रेयस्कर होगा। पौष की अमावस्या को शनिवार होने से बाद के समय में अनाज के भावों में उछाल आने की संभावना है।

घर के दरवाजे से ही आते हैं सुख-दु:ख

वास्तु-विज्ञान.door घर का मुख्य द्वार सभी सुखों को देने वाला होता है। यह भवन का मुख्यांग होने के कारण एक प्रकार से मुखिया है। वास्तुपद रचना के अनुसार यदि द्वार की स्थिति सही हो तो कई दोषों का स्वत: ही निवारण हो जाता है और सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य व यश-कीर्ति में वृद्धि होती है।

वास्तुशास्त्रों में द्वार की रचना पर बहुत जोर दिया गया है। द्वार को जितना सुंदर और मजबूत बनाने पर जोर है, उससे कहीं अधिक बल इस बात पर है कि यह वास्तुपद सम्मत हो। भवन की जो लंबाई चौड़ाई हो, उसे वास्तु पदानुसार आठ-आठ रेखाएं डालकर 64 पदों में बांट दें और दिशानुसार वहां द्वार रखें। यह नियम मुख्य भवन सहित चारदीवारी के प्रधान द्वार के लिए भी लागू होता है।

‘समरांगण सूत्रधार’ और ‘अपराजितपृच्छा’ में द्वार निवेश के बारे में विस्तार से बताया गया है। मयमतं, वास्तुप्रदीप, राजवल्लभ वास्तुशास्त्र, वास्तुमंजरी में भी यही विचार मिलता है। पूर्वकाल में राजमहलों और हवेलियों के निर्माण के समय द्वार निवेश पर प्रमुखता से विचार होता था। यह विचार आज भी सर्वथा प्रासंगिक है।

इस नियम के अनुसार पूर्व के क्रम से ईशान कोण से क्रमश: पहला और दूसरा क्षेत्र छोड़कर तीसरे और चौथे पद पर द्वार रखना चाहिए। ऐसे द्वार धन, धान्यप्रद, सरकार से सम्मान और रोजगार की दृष्टि से सुकून देने वाले होते हैं।

दक्षिण में आग्नेय कोण से क्रमश: तीन पद छोड़कर आगे के तीन पदों पर द्वार रखने से पुत्र-पौत्र, धन और यश की प्राप्ति होती है। पश्चिम में नैऋत्यकोण से दो पद छोड़कर चार पदों पर द्वार निवेश से धन-वैभव, विशेष संपदा और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इसी प्रकार उत्तर में वायव्य से तीन पद छोड़कर क्रमश: तीन पदों पर द्वार रखने से धन संपदा, सुख और निरंतर आय की प्राप्ति होती है।

द्वार पर लगाया जाने वाला किवाड़ बिल्कुल पतला नहीं होना चाहिए। ऐसा होने पर भुखमरी या अर्थाभाव का सामना करना पड़ सकता है। यदि किवाड़ टेढ़ा-मेढ़ा हो जाए तो अमंगलकारी होता है। इस कारण दिमागी संतुलन बिगड़ सकता है।

यदि किवाड़ में जोड़ गड़बड़ हो तो भवन मालिक कई कष्ट झेलता है। यह पारिवारिक शांति को प्रभावित करता है। यदि किवाड़ भवन के अंदर की ओर लटक जाए तो बहुत कष्टकारी और बाहर की ओर लटका हो तो वहां रहने वाले निरंतर प्रवास पर ही रहते हैं।

अब Hindi का जवाना है

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