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Friday, January 11, 2008

सैकड़ों सेम्पल कर दिए नष्ट

इंदौर. i एमवाय अस्पताल में वर्षो से पड़े सैकड़ों विसरा सेम्पल गायब हो गए लेकिन कब और कहां? किसी को नहीं पता। लंबे समय से थानों के पुलिसकर्मियों द्वारा सेम्पल नहीं ले जाने से इन्हें नष्ट करने की बात सामने आई है। सेम्पल कब और किसके आदेश से नष्ट हुए हैं, इसकी जानकारी भी किसी के पास नहीं है।

विसरा जांच सालों चलती है जिसके चलते हजारों मामले अटके रहते हैं। फोरेंसिक विशेषज्ञों के अनुसार लगभग 75 प्रतिशत मामलों में विसरा जांच हेतु राऊ भेजा जा रहा है। कारण है- मौत की वजह और बयान स्पष्ट होने के बाद भी कानूनी पक्ष मजबूत होना।

जहां तक मालवा की बात है सबसे ज्यादा जहर खाने, सांप काटने, जहर खुरानी के मामले होते हैं जिसके चलते इनकी विसरा जांच तो भेजी ही जाती है। लेकिन दूसरे मामलों में भी भेजी जाने लगी है।

सेम्पल पोस्टमार्टम कक्ष के पास व ग्राउंड फ्लोर स्थित आकस्मिक चिकित्सा कक्ष में रखते हैं। कई माह तक संबंधित थानों के पुलिसकर्मी इन्हें नहीं ले जाते। कई बार संबंधित थानों को कहा भी गया। सूत्रों के मुताबिक इन्हें संभालने की दिक्कतों के कारण पुराने विसरा सेम्पलों को नष्ट कर दिया गया जिसके चलते अब केवल नए मामलों के ही विसरा सेम्पल हैं।

इसलिए नहीं ले जाते पुलिसकर्मी

रोज के 8-10 पोस्टमार्टम होने से प्रक्रिया में समय लगता है। विसरा की स्थिति में पुलिसकर्मियों को बाद में सेम्पल ले जाने को कहा जाता है। इसके चलते पुलिसकर्मियों को कुछ दिनों बाद थाने से अस्पताल आना पड़ता है। फिर वहां से सेम्पल लेकर राऊ स्थित क्षेत्रीय न्यायायिक विज्ञान प्रयोगशाला में जमा करना होता है।

प्रयोगशाला काफी ऊंचाई पर और पथरीला रास्ता है। इन दिक्कतों के कारण पुलिसकर्मी सेम्पल नहीं ले जाते। एक कारण यह भी है कि जांच रिपोर्ट डेढ़-दो वर्ष बाद आती है इसलिए वे इसे गंभीरता से नहीं लेते। कुछ पुलिसकर्मियों का मानना है कि विसरा ले जाने में अनहोनी हो जाती है। इसे लेकर वे ले जाने में हिचकते हैं।

हजारों जांचें और लोग सिर्फ 15

इन सभी जांचों के लिए लैब में अभी रसायन, भौतिकी और बायोलॉजी संबंधी तीन अलग-अलग सेक्शन हैं। हर वर्ष रसायन नारकोटिक्स, विजिलेंस ट्रैप के 350 व जहर संबंधी 2000 से ज्यादा केस आते हैं जिनमें सांप व जानवर के काटने के मामले भी हैं।

खून की 1500 से ज्यादा तथा सीरम के 500 सेम्पल जांच के लिए आते हैं लेकिन इसके लिए अमला सिर्फ 15 लोगों का है। इनमें सात अधिकारी (डॉक्टर्स, वैज्ञानिक) तथा बाकी टेक्नीशियन्स व कर्मचारी हैं।

क्यों बढ़ रहे हैं विसरा केस

कोर्ट में आने वाली अड़चनों से बचने के लिए अधिकारी पोस्टमार्टम के दौरान डॉक्टर्स को विसरा जांच भी करवाने का कहते हैं जिससे संख्या बढ़ रही है। हालत यह है कि अस्पताल और लैब में हजारों की तादाद में विसरा सेम्पल धूल खा रहे हैं।

इसी तरह खून के 3900 से ज्यादा मामले लंबित हैं। इनमें घटनास्थल पर मिला मृतक व आरोपियों का खून तथा हथियार पर लगे खून, बाल आदि की जांच आदि हैं।

कोर्ट की इस संपत्ति का अब क्या होगा?

नष्ट सेम्पलों की जांच पुलिस द्वारा कोर्ट में पेश की जाना थी। सेम्पल किसके व किस थाने से संबद्ध थे, अब पता लगाना मुश्किल है। इनकी जांच रिपोर्ट नहीं मिलने से कोर्ट की कार्रवाई प्रभावित होगी। फोरेंसिंक विभागाध्यक्ष डॉ. एस.के. दादू के मुताबिक हम तो सेम्पल थाने के पुलिसकर्मी व अस्पताल स्थित पुलिस चौकी के सुपुर्द कर देते हैं।

-महीनों तक पुलिस सेम्पल नहीं ले जाती इसलिए इन्हें रखने की दिक्कत तो है ही, साथ ही दरुगध भी फैलती है। मामला मेरी जानकारी में नहीं है। मैं मामले की जांच कराऊंगा'

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