रूई का निर्यात 70 लाख गांठ तक होने की आशा
इंदौर. चालू रूई वर्ष में विश्व स्तर पर रूई के उत्पादन में 3 प्रतिशत की कमी रही है। इसका प्रमुख कारण अमेरिका, चीन, पाकिस्तान आदि में उत्पादन कम होना है जबकि भारत के उत्पादन में 10.7 प्रतिशत की वृद्धि होने के समाचार हैं।
देश की मिलों की रूई खपत में तेजी के साथ सुधार हो रहा है। इसका प्रमुख कारण रूई की क्वालिटी में काफी सुधार होने से आयात में कमी आई है। देश में अभी तक 38 प्रतिशत के लगभग रूई की आवक होने के समाचार हैं। इस बार रूई का निर्यात बढ़कर 70 लाख गांठ तक होने की संभावना है।
वर्तमान में निर्यातकर्ताओं की खरीदी में रुकावट आने से भावों में आंशिक गिरावट आई है, लेकिन भविष्य लंबी मंदी का नहीं है। वर्तमान में मुंबई और कोलकाता तरफ के निर्यातकर्ताओं की लेवाली अपेक्षित नहीं है जबकि दक्षिण भारत के निर्यातकर्ताओं की पूछपरख बराबर बनी है।
पाकिस्तान भारत से 5 लाख गांठ रूई शार्ट स्टेपल की खरीदी के सौदे करने का विचार कर रहा है। पाकिस्तान में स्थिति संतोषप्रद नहीं होने से निर्यात में देरी हो सकती है ऐसी संभावना है। देश में रूई का उत्पादन अच्छा होने और निर्यात के साथ खपत को पूर्ण करने के बाद भी रूई की उपलब्धि सुगमतापूर्वक रहेगी ऐसी संभावना है।
उत्तर भारत में ठंड अधिक होने से आवकों में कमी है। देश में रूई की आवक 2.25 लाख गांठ के लगभग प्रतिदिन हो रही है। कपास के भाव समर्थन मूल्य से ऊंचे होने से महाराष्ट्र फेडरेशन और सी.सी.आई. को भी अधिक रूई की प्राप्ति नहीं हो रही है। गुजरात की संकर 6 रूई के कामकाज 20800 से 21000 रुपए के भाव से हो रहे हैं। महाराष्ट्र बायवन 19300 रुपए के भाव से व्यापार होने के समाचार हैं। प्रदेश में रूई के भावों में लगभग 300-400 रुपए की नरमी रही है।
निर्यातकर्ताओं और मिलों की पूछपरख शुरू होने पर भावों में सुधार हो सकता है। वर्तमान में 28 एमएम 19600 रुपए 29 एमएम 19800 रुपए 30 एमएम 20000 रुपए और 32 एमएम 20500 रुपए के भाव रहे हैं। 32 एमएम रूई का कामकाज सीमित है। न्यूयॉर्क रूई वायदा बाजार में मार्च और जुलाई वायदा में कामकाज सीमित होने के साथ लंबी तेजी नहीं है।
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