वैलेंटाइन के लिए शायरी
तबियत अपनी घबराती है जब सुनसान रातों में, हम ऐसे में तेरी यादों की चादर तान लेते हैं
अजब आरजू अनोखी तलब है, तुझी से तुझ को माँगना चाहता हूँ
मैंने माशूक बहारों में तुझे देखा है, चांदनी रात के सितारों में तुझे देखा है
दूरी के घाम कुछ और सिवा हो के रह गए, हम उनसे क्या मिले की जुदा होके रह गए
हम पाला मुद्दतों पहलू में, हम कुछ भी नहीं, तुमने देखा इक नज़र और दिल तुम्हारा हो गया
भूली बिसरी चाँद उम्मीदे, चाँद फसाने याद आए, तुम याद आए और तुम्हारे साथ ज़माने याद आए
दिल धड़कने का सबब याद आया, वह तेरी याद थी अब याद आया
मौसम आयेंगे जायेंगे, हम तुमको भूल न पायेंगे
न जी भर के देखा न कुछ बात की, बहुत आरजू थी मुलाकात की
हजूर आप का ही एहतराम करता चलूँ, इधर से गुजरा था, सोचा सलाम करता चलूँ
एक कमी थी ताज महल में, हम ने तेरी तस्वीर लगा दी
कासिद के आते आते ख़त इक और लिख चलूँ, मैं जानता हूँ जो व्हो लिखेंगे जवाब में
दिल का वीराना हो गया लेकिन, अब भी है तेरी आरजू इस में
और तो कौन है जो मुझ को तस्सल्ली देता, हाथ रख देती है दिल पेय तेरी बातें अक्सर
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