यह आइटम-साइटम क्या है
परदे के पीछे. मीडिया और फिल्म उद्योग में ‘आइटम’ का अर्थ है किसी लोकप्रिय सितारे द्वारा फिल्म में नाच-गाना प्रस्तुत करना और वह फिल्म का चरित्र नहीं है। शाहरुख ने करन जौहर की ‘काल’ में नृत्य किया था जबकि वे फिल्म के पात्र नहीं थे।
जनवरी के दूसरे सप्ताह में वे राकेश रोशन की फिल्म ‘क्रेजी 4’ के लिए शूटिंग करने जा रहे हैं। चरित्र भूमिका में सितारा पात्र होता है और भूमिका छोटी होने के कारण अतिथि कहा जाता है। प्राय: कथा की मांग के अनुरूप यह करना पड़ता है। मसलन करन जौहर की ‘कुछ कुछ होता है’ में सलमान जैसे सितारे का होना जरूरी था, अन्यथा कभी शाहरुख को चाहने वाली किसी ऐरे-गैरे के प्रेम में कैसे पड़ सकती है।
प्राय: बॉक्स ऑफिस मूल्य बढ़ाने के लिए ‘आइटम’ या ‘अतिथि’ जोड़े जाते हैं। मल्टीप्लैक्स के आगमन के साथ ही टिकट की दरों के बढ़ने के बाद दर्शक को आकर्षित करना कठिन हो गया है। फिल्म निर्माण के दाम आसमान छू रहे हैं। अत: निर्माता को फिल्म में अतिरिक्त आकर्षण पैदा करना पड़ रहा है।
आज जिसे ‘आइटम’ कहा जा रहा है, वह पहले भी फिल्मों में रहा है परंतु उसे इस कदर बदनाम नहीं किया गया था। बतौर निर्माता राकेश रोशन की पहली फिल्म ‘आपके दीवाने’ में जितेंद्र ने एक नृत्य किया था, जबकि वे उस फिल्म के पात्र नहीं थे। इसी तरह राकेश रोशन की ‘खुदगर्ज’ में ऋषि कपूर ने गीत गाया था। राकेश, ऋषि और जितेंद्र हमेशा ही गहरे मित्र रहे हैं और बिना पैसे लिए एक-दूसरे की फिल्मों में काम करते रहे हैं।
कई बार मित्रों के आग्रह पर ‘आइटम’ जैसा कुछ करना पड़ता है। राजकपूर ने प्रेमनाथ को ‘आग’ और ‘बरसात’ में समानांतर नायक की भूमिकाएं दी थीं। ‘आवारा’ में प्रेमनाथ के लिए कोई भूमिका नहीं थी, परंतु प्रेमनाथ की जिद थी, अत: एक गीत में उन्होंने मल्लाह की अति संक्षिप्त भूमिका निभाई। केदार शर्मा ने गीता बाली को तराशा था और प्रस्तुत किया था। जब वे शम्मी कपूर और माला सिन्हा के साथ ‘रंगीन रातें’ बना रहे थे, तब गीता बाली की जिद पर उन्हें लड़के के रूप में एक छोटी भूमिका दी गई। दर्शकों को लगा कि किसी दृश्य में गीताबाली अपने असली रूप में प्रगट होंगी। उन दिनों शम्मी और गीता का इश्क शिखर पर था।
आजकल ‘आइटम’ का अर्थ सेक्सी नृत्य रह गया है। मल्लिका शेरावत, राखी सावंत और ईशा कोप्पीकर ने ‘आइटम’ का यही अर्थ प्रस्तुत किया है। ‘जब वी मेट’ में नायक नायिका के साथ दो घंटे के लिए कमरा लेता है तो मैनेजर कहता है कि ‘आइटम’ कड़क है। शब्दों के अर्थ इरादों के कारण इसी तरह बदलते रहते हैं। बेगमपारा और तनूजा खुले स्वभाव की खिलंदड़ सितारा थीं, परंतु उस जमाने में बिंदास शब्द नहीं गढ़ा गया था। सिनेमा के प्रारंभिक गूंगे दौर में दर्शक को आकर्षित करने के लिए मध्यांतर में ‘जिंदा नाच’ प्रस्तुत किया जाता था।
शहर के बदनाम मोहल्ले से लड़कियां आती थीं और नृत्य प्रस्तुत करती थीं। आज के ‘आइटम’ का आदी स्वरूप उस दौर का ‘जिंदा नाच’ ही था। आजकल लोकप्रिय आइटम सितारे पांच सितारा होटल में ‘जिंदा नाच’ प्रस्तुत करते हैं।
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