बस पांच मीनत
सेहत. सर्दियां शुरू हो चुकी हैं, सो एक बार फिर शुरू हो जाए वर्जिश। पर इस बार कुछ ऐसा करें की आलस न छाए और रोज़ाना कसरत की आदत बनी रहे। कैसे..
हम हर बार सर्दियों में जोर-शोर से वर्जिश शुरू करते हैं, पर सर्दियां खत्म होने से पहले ही अधिकांश लोग पुराने र्ढे पर लौट आते हैं। बार-बार नए संकल्प के साथ कसरत शुरू करने और फिर कुछ दीनों बाद आलस पर वापस आ जाने की प्रव्र्त्तीकी शुरुआती उत्साह बहुत जल्दी काफूर हो जाता है? ये हैं कुछ ऐसे ज़रूरी कदम, जो कसरत समेत तमाम लक्ष्यों को हमारी आदत में शामिल करते हैं। से हर कोई लड़ चुका है। ऐसा क्यों होता है
* लक्ष्य हो सरल : कभी भी कठीन लक्ष्य न बनाएं। सलमान की तरह भुजाएं हासिल करने या रोज दो घंटे जिम में पसीना बहाने के संकल्प से बेहतर है कि आप सिर्फ पांच मिनट की वर्जिश से शुरू करें। आप यह आसानी से कर सकते हैं। आप महीने भर तक केवल पांच मिनट ही मेहनत करें और अगले महीने से उसे दस मिनट करें। इस तरह रोजाना की कसरत आपकी आदत में शामील होगी। पहले आसान से प्रारंभ करें, फिर उसे आदत बनाएं और तब व़क्त बढ़ाएं।
* तय करें : केवल यह कहना ही काफी नहीं है कि मैं कसरत करूंगा या सैर के लिए जाऊंगा। इसकी बजाय कितने समय तक वर्जिश करनी है, कब करनी है और कहां करनी है, ये सब कुछ तय होना चाहीए।
* याद रखें : आप नहाने से पहले दांतों पर ब्रश अवश्य करते हैं। इसी तरह कुछ ऐसा तय करें की उसके पहले एक्सरसाइज़ करना कभी न भूल पाएं। लंच से पहले, ब्रेकफास्ट के पहले या नहाने से पहले, यह ‘ट्रिगर’ कुछ भी हो सकता है।
* माप सकें : आप निश्चित तौर पर बता सकें कि आज आपने अपने रोजाना के लक्ष्य को कहां तक पूरा किया। 10 मिनट की दौड़, आधा मील की सैर, पांच पुशअप्स के तीन सेट ऐसी संख्याएं हैं, जीन्हें बताया जा सकता है।
* लक्ष्य हो एक: एक महीने के लिए मात्र एक लक्ष्य पर दृष्टि रखें। हो सकता है कि आप महीना पूरा होने से पहले ही समय 20 मिनट तक बढ़ाना चाहें। पर इस उत्साह को आगे के लिए बचा कर रखें, क्योंकि एकाग्रता और धैर्य की असल परीक्षा तो अभी बाकी है।
* हिसाब रखें : रोजाना का हिसाब रखें, ताकि आपको पता लगता रहे कि कहां पहुंच रहे हैं। हीसाब-कीताब में जटिलता न रखें, सिर्फ तारीख, समय और आपने क्या कीया, यही लीखें।
* दूसरों को बताएं : यह काफी महत्वपूर्ण है। अपने जीवनसाथी, मित्र या सहकर्मी, कीसी को भी दैनिक रिपोर्ट दे सकते हैं, हां यह ध्यान रखें कि उसे आपके लक्ष्य की जानकारी हो। वह आपसे रिपोर्ट की अपेक्षा रखे और आपके भूल जाने पर ख़ुद ही पूछ ले।
* प्रेरित हों : हर कीसी को प्रेरणा और प्रोत्साहन की ज़रूरत होती है। यदि लगातार दो दिनों तक वर्जिश न कर पाएं, तो स्वयं से पूछें कि ऐसा क्यों हुआ। समय-समय पर ख़ुद को प्रोत्साहित करते रहें। दूसरों से तारीफ मिले तो और भी बढ़िया है। परिवार और मित्रों का दबाव भी होना चाहिए, ताकि आप लक्ष्य को भूल न पाएं। जिस दिन आलस छाए या छुट्टी मार लेना आसान लगे, यह लेख एक बार और पढ़ें। यह सब तब तक जारी रखें, जब तक की कसरत आदत में न शामील हो जाए।
0 comments:
Post a Comment