पुर्नजन्म :थोड़ी हकीकत थोड़ा फसाना
क्या है यहरीइनकार्नेशन या पुनर्जन्म की अवस्था में व्यक्ति को लगता है कि वह पहले किसी समय, कि सी दूसरी जगह पर, दूसरे शरीर के रूप में कहीं रह चुका है। वह पहले किसी और रूप में जीवन जी चुका है, और अब नए रूप में इस जीवन में है। विशेषज्ञ इसे 'देजा वू' का नाम देते हैं। 'देजा वू' फ्रेंच भाषा का शब्द है,जिसका अर्थ है मस्तिष्क का एकाएक किसी विशेष स्थिति में पहुंच जाना।
डॉ. विज की स्टडीमियामी के प्रमुख मनोचिकित्सक डॉ. ब्रायन विज ने इस क्षेत्र में काफी काम किया है। 70 के दशक में डॉ. विज के पास लैब टेक्नीशियन महिला मनोरोग के इलाज के लिए आई। कैथरीन नाम की इस महिला को ठीक करने और उसके मन में छुपी बातों को बाहर निकालने के लिए विज ने सम्मोहन का सहारा लिया। इससे कैथरीन को शराबी पिता द्वारा यौन र्दुव्यहार, स्वीमिंग पूल में धक्का दिया जाना और डेंटिस्ट के क्लीनिक पर गैस मास्क लगाकर मारने की कोशिश के हादसे याद आए। लेकिन इसके बाद भी कैथरीन की समस्या ठीक नहीं हुई। ऐसे में विज ने उसे पूर्वजन्मों वाली जगहों के बारे में सोचने के लिए कहा। इससे कैथरीन करीब चार हजार वर्ष पूर्व के जीवन में चली गई। कैथरीन ने बताया कि उसकी मौत बाढ़ के पानी में डूबने से हुई थी।
आगे के सम्मोहन सत्रों में उसने 18 वीं सदी की स्पेन की वैश्या के रूप में और यूनान में बिताए दिनों का जिक्र किया। विज ने इसे फैंटसी माना, लेकिन इसके बाद कैथरीन के स्वास्थ्य में जबरदस्त सुधार आया। दो जन्मों के बीच की ऐसी ही एक अवस्था में कैथरीन ने विज को उनके जीवन से जुड़ी ऐसी बातें बताईं जो सिर्फ वही जानते थे। कैथरीन के अनुसार आध्यात्मिक अवस्था में होने पर किसी गुरु ने उसे बताया कि वह 86 जन्म जी चुकी है। इसके बाद डॉ. विज के पास कैथरीन की बातों को मानने के अलावा कोई चारा नहीं रह गया था।
पीठ का दर्द और पिछला जन्मएक दूसरे केस में डॉ. विज की हमपेशा पीठ में लंबे समय से दर्द की शिकायत लेकर आई। दर्द का कोई कारण नजर नहीं आने पर डॉ. विज उसे सम्मोहन से पूर्व जन्मों में ले गए। महिला ने बताया कि वह अपने पूरे परिवार के साथ सड़क किनारे बने मकानों में रहती थी। वहां से गुजर रही रोमन सेना के सेनापति ने उसकी पीठ में जोरदार ठोकर मारी, जिससे रीढ़ की हड्डी टूट गई। सम्मोहन का यह सत्र पूरा होने के बाद महिला पूरी तरह ठीक हो गई।
क्या रहा नतीजाडॉ. विज इसे 'पास्ट लाइफ रिग्रेशन थेरैपी'(पीएलआरटी) कहते हैं। उन्होंने अंधविश्वासी होने के ठप्पे से बचते हुए अपने अनुभवों को प्रकाशित किया। उनकी किताब 'मैनी लाइव्ज, मैनी मास्टर्स' छपने पर कई लोगों ने उन्हें अपने अनुभव बताए। लोगों ने बताया कि वे खुद भी कई बार इस तरह के अनुभवों से दो-चार हो चुके हैं। डॉ. विज कई बच्चों को भी इसी थेरैपी से ठीक कर चुके हैं।
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