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Wednesday, December 12, 2007

अस्थमा और बच्चे

बदलते मौसम में अस्थमा के अटैक से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं छोटे बच्चे। कभी आधी रात में बच्च खांसते या छींकते हुए उठ जाता है। ठंड के मौसम में यह साधारण अस्थमा और बच्चेसी बात है, लेकिन यदी ऐसा बार-बार होता है तो गंभीर बात है। यही नहीं यदि बच्चा नाक से सांस न लेकर मुंह से सांस लेता है तथा उसे सांस लेने तथा छोड़ने में कठीनाई होती है। साथ-साथ सांस छोड़ते समय सीटी की आवाज निकलती है तो यह निश्चय ही अस्थमा से जुड़ा मामला है।

सिर्फ अनुवांशिक कारण से ही बच्चे को अस्थमा नहीं होता, बल्की इसके कई और भी कारण हैं। इस बारे में एक अच्छी खबर यह है कि अगर छोटी उम्र में बच्चे को अस्थमा हो जाता है तो व्यापक देखभाल से कई बार बढ़ती उम्र के साथ अस्थमा खत्म भी हो जाता है।

कारण
वैसे अनुवांशिकता को ही अस्थमा का महत्वपूर्ण कारण माना जाता है। यदी परिवार में एक से अधिक सदस्यों को अस्थमा है तो बच्चे को अस्थमा होने की आशंका अधिक होती है। जिन बच्चों में यह अनुवांशिकता के माध्यम से आता है उन्हें एलर्जी ज्यादा होती है। इसके अलावा बच्चों को अस्थमा कई कारणों से हो सकता है। जैसे-पैसिव स्मोकिंग, खाद्य पदार्थो की एलर्जी, जानवरों के रोएं, घर के धूलकण, दवाइयां तथा पंख आदि। ठंड के दिनों में चलने वाली हवाएं अस्थमा को और बढ़ा देती हैं, क्योंकि इन हवाओं में धूलकण तथा पराग कण मील होते हैं। भावनात्मक तनाव के कारण भी बच्चे अस्थमा के शिकार होते हैं। जिन बच्चों के घर का माहौल खुशहाल नहीं होता, उनमें भी अस्थमा होने के आसार बढ़ जाते हैं।

अस्थमा की पहचान
बच्च लगातार खांसता है तथा रात में स्थिति और बुरी हो जाती है। पहला अटैक आने पर जितना जल्द हो सके डॉक्टर को दिखाएं। अगर बच्चे को अस्थमा है तो आप घबराएं नहीं, इससे बच्चे की स्थिति और बिगड़ सकती है। एलर्जी टेस्ट करने के लिए डॉक्टर ब्लड टेस्ट करवा सकता है तथा आपकी फैमिली हिस्ट्री तथा फूड एलर्जी के बारे में पूछ सकता है।

दवा से बेहतर है उपाए
घर या स्कूल में होने वाले किसी भी तरह के तनाव से बच्चे को दूर रखें। तापमान में किसी तरह का परिवर्तन होने पर अस्थमा का अटैक होने की आश्ांका बढ़ जाती है। धूल तथा प्रदूषण से बच्चों को दूर रखें। घर में कम-से-कम फर्नीचर रखें। पुरानी किताबें, कपड़े, कंबल तथा रजाइयों के धूलकण अस्थमा के मरीज को ज्यादा परेशान करते हैं। इसलिए अगर घर में वैक्यूम क्लीनर हो तो बच्चे के स्कूल जाने पर घर साफ करें। घर में पौधे तथा पालतू जानवर रखने से बचें। टेलकम पाउडर तथा जंक फूड से बच्चों को दूर रखें।

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