बच्चों पर हावी तनाव
तनाव ऐसी मानसीक स्थिति है जिससे सिर्फ बड़े ही नहीं, बच्चे भी गुजरते हैं। बच्चे के दीलोदिमाग में तनाव के घर करने में अहम रोल निभाता है घर तथा स्कूल का माहौल। बच्चे तनाव को शब्दों के जरिए व्यक्त नहीं कर पाते। वे अलग तरह से इसे व्यक्त करते हैं जैसे- पेट दर्द, सिर दर्द, बिस्तर गीला करना, चिड़चिड़ापन, ध्यान केंद्रित नहीं कर पाना, अकेले रहना आदी। तनाव की स्थिति बच्चे के विकास में बाधा पहुंचाती है।
* बच्चे में तनाव के लक्षण का पता चलते ही विशेषज्ञों की राय लें। कई बार शुरुआती दौर में ही स्ट्रेस मैनेजमेंट से भी तनाव दूर हो जाता है।
* पारिवारिक विवाद जैसे- तलाक, लड़ाई-झगड़ा, संपत्ति के विवाद आदी भी बच्चों के लिए तनाव का कारण बनते हैं। जहां तक संभव हो, बच्चों को आपस के लड़ाई-झगड़ों से दूर रखें। अगर मामला तलाक का हो तो बच्चे को तनाव से दूर रखने के लीए मनोविशेषज्ञ से सलाह लें।
* घर का माहौल खुशनुमा बनाएं। कई बार घर में छोटे बच्चे के जन्म के बाद बड़ा बच्च चिड़चिड़ा जाता है। वह महसूस करता है कि माता-पिता तथा रिश्तेदार उसके छोटे भाई-बहन को ज्यादा प्यार करते हैं। नए बच्चे के घर में आने पर बड़े बच्चे पर भी बराबरी से ध्यान देने की जरूरत है।
* बच्चे से मीत्र की तरह व्यवहार करें। उससे स्कूल तथा उसके दोस्तों के बारे में जानकारी लें। उसे कुत्ते, बिल्ली या झोली वाले बाबा जैसे उदाहरण देकर डराने की कोशिश नहीं करें।
* कई बार अमीर माता-पिता के बच्चे स्कूल में रईसी दिखाते हैं, यह स्थिति कई बार मध्यम वर्ग के बच्चों के लिए तनाव का कारण बनती है जैसे- ‘मेरे पापा तो बड़े अफसर हैं, तुम्हारे पापा दुकानदार हैं।’ ‘मेरे पापा के पास बहुत पैसे हैं, तुम्हारे पापा गरीब हैं।’ कई बार ऐसी बातें बच्चे के मन में हीनभावना भर देती हैं। अगर बच्च ऐसी शीकायत करता है तो स्कूल प्रबंधन और टीचर को इसकी जानकारी दें।
* क्लास में यदी कोई आपके बच्चे पर हावी होने की कोशिश करता है तो इससे भी वह दब्बू बन सकता है। ऐसी नौबत आने पर टीचर से बात करके या तो अपने बच्चे का सेक्शन या क्लास में उसके बैठने की जगह बदल दें।
* बच्च तनाव में हो तो उसे घुमाने ले जाएं। जब वह रिलैक्स मूड में हो तो उससे प्यार से बात करके उसके दिमाग पर हावी डर को दूर करने का प्रयास करें।
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