
तितली का सारा सौंदर्य उसके पंखों में है। यदि पंखों को अलग कर दिया जाए, तो तितली भी एक भद्दे, गिलगिले पतंगे के सिवाय कुछ नहीं। लेकिन तितलियों के पंख देखकर, सभी का मन उन्हें पकड़ लेने को करता है। कुछ के पंख, नीले, पीले ऑरेंज और लाल जैसे चमकीले रंगों के होते हैं, तो कुछ के पंखों की बनावट अनोखी होती है।
आपको बता दें, इनके पंखों की ़कुदरती ़खूबसूरती हम-आपको लुभाने के लिए नहीं है। ह़की़कत में यह जीवन-सुरक्षा के लिए पक्षियों को बुद्धू बनाने की प्रकृति की बाÊाीगरी है। आपने देखा होगा कि Êयादातर तितलियों के पंखों पर जो रंग-बिरंगे स्पॉट बने रहते हैं, वे बिल्कुल जानवरों की आंखों की तरह दिखाई देते हैं। जानवरों की आंखों जैसे यह संकेत, पक्षियों को भ्रमित और भयभीत कर इनके पास नहीं फटकने देते। और इस तरह उनके जीवन की डोर लंबी बनी रहती है। अन्यथा इस नन्हे, कोमल कीट को पक्षी बड़े स्वाद से सुटकते हैं।
कुछ तितलियों के पंख पत्तियों के रंग और डिजाइन के होते हैं। इस ़खूबी की बदौलत वे आसानी से पेड़-पौधों और झाड़ियों में छुप जाती हैं, और पलक झपकते पक्षियों की नÊारों से ओझल हो जाती हैं। साथी की Êारूरत महसूस हाने पर ये एक-दूसर के इर्द-गिर्द मंडराकर अपनी तलाश पूरी कर लेते हैं। मेल तितली फीमेल को उसके पंखों द्वारा रंग और प्रकाश को रिफ्लेक्ट करने के अंदाÊा से पहचान लेती हैं। आमतौर पर तितलियां पत्तों के निचले हिस्से पर अंडे देती हैं। तो कुछ कभी-कभी, उड़ते समय भी दे देती हैं।
़खास बात यह कि इसके लिए वे ऐसे पत्ते चुनती हैं, जिन्हें उनके नवजात बच्चे स्वाद से खा सकें। गुणवत्ता परखने के लिए वे पत्तों को चखकर भी देखती हैं। अंडे से सीधे तितली नहीं निकलती। पहले यह एक नन्हीं सी इल्ली की तरह होती है। धीर-धीर इनकी बाहरी त्वचा मजबूत होकर, एक ठोस कवच की तरह बन जाती है। इस कवच के अंदर तेÊाी से तितली का रूपाकार संवरता है। ़करीब चार सप्ताह के भीतर यह कवच टूटकर खुलता है। तब तक यह तितली के रूप में विकसित हो चुकी होती है।
महारानी तितलीमोनार्क तितली इन कीट-पतंगों की महारानी कही जाती है। शरद ऋतु में हÊारों मोनार्क तितलियां दक्षिण कनाडा में इकट्ठी होकर वहां से दक्षिण की ओर जाती हैं। कुछ तितलियां तो ़करीब तीन हÊार किलोमीटर की यात्रा तय कर पहुंचती हैं। सर्दी के मौसम में ये मिशोयकैन और मैक्सिको के अंगेंगुइयो, क्यूबा, न्यूयार्क और कैलिफोर्निया जैसे सामान्य क्षेत्रों में चली जाती हैं। लंबी उड़ान हेतु शक्ति अर्जित करने के लिए यह फलों से रस चूसती जाती हैं।
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