
बंता सिंह, ‘धूम्रपान करते हो?’ संता चिंटू , ‘जी, कभी-कभी।’
बंता ¨सह, ‘पढ़े कहां तक हो?’ संता चिंटू, ‘मन नहीं लगा, ग्रेजुएशन पूरा नहीं कर पया।’ बंता सिंह, ‘काम क्या करते हो?’ संता चिंटू, ‘अभी तो कुछ नहीं करता।’ बंता सिंह, ‘तुम्हारे साथ सब कुछ तो निगेटिव है, कुछ भी पॉजिटिव नहीं है?’ संता चिंटू, ‘जी है न।’ बंता सिंह, ‘अच्छा, वह क्या है?’संता चिंटू, ‘जी एचआईवी पॉजिटिव हूं।’
* संता सेठ नए-नए रखे अपने नौकर बंता बग्गी को कुर्सी पर बैठे-बैठे सोता देख क्रोधित होकर बोले, ‘क्यों बे, तुमने तो कहा था कि कितना भी काम हो, तुम कभी थकते नहीं, और यहां तुम मेज पर पैर पसार कर सो रहे हो?’
-बंता बग्गी बोला, ‘सेठ जी, मेरे न थकने का यही तो राÊा है।’
-विष्णु चौहान, ढाबला हरदू (उज्जैन)- मप्र
* अमेरिकी और भारतीय संस्कृति में समानता पर बात चल रही थी- शिक्षक संता पाठक बोले, ‘देखो हमारे यहां जन्मदिन के अवसर पर आमंत्रित लोग कहते हैं- भगवान करे ये दिन बार-बार आए। यही शब्द ज्योंके त्यों अमेरिका में भी प्रयोग होते हैं। बस, अंतर सिर्फ अवसर का है।’ शिक्षक बंता दास ने पूछा, ‘अवसर? समझा नहीं, क्या मतलब? शिक्षक संता पाठक, मतलब यह कि वे इस तरह शादी के समय कहते हैं।’
-अविनाश कस्तूरे, गढ़ा (जबलपुर)-मप्र
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* संता मुन्ना ने मित्र बंता विक्की से पूछा, ‘सुना है तुम्हारी बीवी को भूत लग गया है। भई, इसका तो कोई उपचार भी नहीं होता। अब तुम क्या करोगे?’ बंता विक्की बोला, मैं क्या कर सकता हूं। वही जाने, उसकी ग़ल्ती है, तो वही भुगतेगा।
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