रवड़ की नदी
रवड़ की नदी
सतत् प्रवाही शाश्वत
पहुंच वाले बांस
गड़रियों के हाथ
रवड़ में छिपे कुत्ते
संचालक के साथ
हरी घास पर नदी
झील सी बिछा दी जाती
जाओ हरी घास चरो
ऊन उगाओ मैमने जनो
भर दो अपने थन दूध से
हमारॆ लिए
हांकते हुड़कते गड़रिए
ऊन उतारते, दूध दुहते गड़रिए
नई राह चुनती
भेड़ों के पीछे
कुत्ते छोड़ते गड़रिए
कुत्ते बदलते
गड़रिए बदलते
पर ना बदलती
नदी की किस्मत
रवड़ की नदी
सतत् प्रवाही शाश्वत
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