बच्चों को लुभाता बाल गणेश
शेमारू इंटरटेनमेंट और अस्तित्व मीडिया विजन के बैनर तले बनी 3डी एनीमेटेड फिल्म बाल गणेश बच्चों को केंद्र में रखकर बनी है। बाल गणेश एवं उनके मूषक का एनीमेशन रूप और उनकीं हरकतें जहां बच्चों को गुदगुदाने में सफल है वहीं फिल्म के गीत ,संगीत और पार्श्व स्वर के बेहतर इस्तेमॉल से फिल्म बच्चों के साथ साथ बड़ों का भी मनोंरजंन करने वाले तत्वों से परिपूर्ण है । बाल गणेश फिल्म के साथ ३ अन्य बड़ी फिल्मों का सिनेमाघरों में प्रदर्शन फिल्म को कुछ हद तक प्रभावित तो करने वाला है लेकिन बच्चों के लिए यह बेहतर फिल्म है और कुछ नए प्रकार के मनोरंजन का अहसास कराती है। बॉक्स ऑफिस पर सफलता के हिसाब से देखा जॉय तो बेहतर प्रस्तुतिकरण और निर्देशन के बावजूद फिल्म का कमजोर प्रमोशन इसको नुकसान पहुचा सकता है। हालॉकि डीवीडी मार्केट में यह सफल रहने की भरपूर संभावना लिए हुए है।
फिल्म के प्रारंभिक चरण में बाल गणेश के जन्म और भगवान शिव के साथ बाल गणेश के विवाद से जुडी कहानी से होता है जिसका फिल्माकंन निर्देशक पकंज शर्मा ने रोचक अंदाज में किया है। बाल गणेश से जुडी़ हुई कई कहानियों को एक कड़ी के रूप में निर्देशक ने जोड़कर जो कहानियों का पिटारा बुना है उसमें बाल गणेश की नटखट हरकतें , नंदी, चंद्रमा और कुबेर के साथ संवाद और अपनी बातों को मनवाने का तरीका बेहद मनोरंजनपूर्ण है। कुबेर के घर पर खाने की डिमांड करते बाल गणेश और मूषक की भाव भंगिमा और मोदक प्रेम का फिल्माकंन फिल्म में बेहतर है जो बच्चों के साथ साथ बड़ो को भी गुदगुदाता है।
पूरी फिल्म में एनीमेशन के बेहतर इस्तेमाल से पात्रों में जीवंतता का बोध होता है जिससे दर्शक का सीधा जुड़ाव बन जाता है और इसके लिए निर्देशक, एनीमेटर ,लेखक और पार्श्व स्वर वक्ता बधाई के पात्र है । चूंकि फिल्म में कई कहानियों को जोड़कर 100 मिनिट की फिल्म बनाने का प्रयास किया गया है इसलिए इसमें कहीं कहीं एक विशेष प्रकार का खालीपन भी है जो फिल्म की गुणवत्ता के लिए सहीं नही कहा जा सकता। फिर भी एक बेहतर और सार्थक प्रयास है।
फिल्म की सबसे बड़ी विशेषता इसका संगीतपक्ष है जो इसके प्रमोशन में बहुत लाभदायक है और जिस प्रकार से गीत पर एनीमेटर चरित्रों का नृत्य फिल्माकंन किया गया है, वह लुभावना है। संगीतकार समीर टंडन और संजय ने बेहतर काम किया है और एक एनीमेशन फिल्म में गीतों के शुद्ध बोल पर पाश्चात्य धुनों के बेहतर इस्तेमॉल से नएपन का बोध कराया है। संगीत पक्ष के मामले में अभी तक भारत में बनीं सभी फिल्मों पर बाल गणेश का संगीत भारी मालूम होता है। कैलाश खेर का गीत और उस पर बाल गणेश और उनकें मूषक का डांस बच्चों को लंबे समय तक याद रहेगा जो एक संभावना को जगाता है।
बाजार के हिसाब से फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बेहतर प्रस्तुति और निर्देशन के बावजूद दोयम दर्जे के प्रमोशन के कारण नुकसान उठा सकती है। हालांकि दीपावली का अवकाश फिल्म के लिए लाभदायक हो सकता है। यह एक बेहतर फिल्म है और भारत में एनीमेशन फिल्मों के चाहने वालों और बच्चों के मनोरंजन की संभावना को बढ़ाती है।
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